वैकुंठ एकादशी क्या है और कब आती है? महत्व और लाभ - Vaikuntha Ekadashi kab hai 2022 - Today Ekadashi

वैकुंठ एकादशी क्या है और कब आती है? Vaikuntha Ekadashi kab hai 2022

जयश्री कृष्ण भक्तो, वैकुण्ठ एकादशी हिन्दु कैलेण्डर में धनुर माह के दौरान पड़ती है। तमिल कैलेण्डर में धनुर माह अथवा धनुर्मास को मार्गाज्ही मास भी कहते हैं। धनुर्मास के दौरान दो एकादशी आती हैं (Vaikuntha Ekadashi kab hai). 

वैकुंठ एकादशी  क्या है और कब आती है? महत्व और लाभ - Vaikuntha Ekadashi kab hai 2022 - Today Ekadashi
जिसमें से एक शुक्ल पक्ष की एकादशी और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी आती है। जो एकादशी शुक्ल पक्ष के दौरान आती है उसे वैकुण्ठ एकादशी कहते हैं। क्योंकि वैकुण्ठ एकादशी का व्रत सौर मास पर निर्धारित होता है इसीलिए यह कभी मार्गशीर्ष चन्द्र माह में और कभी पौष चन्द्र माह में हो जाती है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार एक साल में कभी एक, कभी दो और कभी कोई वैकुण्ठ एकादशी नहीं होती है।

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वैकुण्ठ एकादशी कब है ? Vaikuntha Ekadashi kab hai २०२२

मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को वैकुंठ एकादशी कहते हैं। वैकुण्ठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इस साल २०२२ में वैकुण्ठ एकादशी का व्रत १३ जनवरी 2022 बृहस्पति वार को रखा जायेगा।  

  • एकादशी प्रारम्भ - 04:49 PM on Jan 12, 2022
  • एकादशी समाप्ति-07:32 PM on Jan 13, 2022
  • पारण समय - 14th January 07:15 AM to 09:21 AM 

वैकुण्ठ एकादशी महत्व और लाभ

हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रहकर और विधि विधान पूर्वक विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करने और व्रतकथा को पढ़ने से व्रती की सभी मनोकामना पूरी होती है तथा भगवान विष्णु उनके लिए वैकुंठ का द्वार खोल देते हैं. व्रती को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.

एसी मान्यता है कि इस दिन वैकुण्ठ, जो की भगवान विष्णु का निवास स्थान है, का द्वार खुला होता है। जो श्रद्धालु इस दिन एकादशी का व्रत करते हैं उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उन्हें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।

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मान्यता है कि जिन लोगों की संतान नहीं है, वे अगर पूरे विधि विधान से इस व्रत को रखें तो उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है।  इसके अलावा ये एकादशी लोगों को मोक्ष के द्वार तक ले जाती है।

ऐसा मन जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य की आत्मा विष्णु जी के चरणों में शांति प्राप्त करती है जिससे उसे जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस दिन उपवास रखा जाता है।

समापन - 

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