वैकुण्ठ एकादशी व्रत की ये ख़ास विशेषताएं आपको जाननी चाहिए - Vaikuntha Ekadashi significance - Today's Ekadashi

वैकुण्ठ एकादशी व्रत की ये ख़ास विशेषताएं आपको जाननी चाहिए - Vaikuntha Ekadashi significance

जय श्री कृष्ण भक्तो, अगर आप बैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) का  व्रत रखाने जा रहा है, तो आपको ये एकादशी के बारेमे सब कुछ जानना जरूरी है और इसकी विशेषताए के बारेमे जाननी चाइए। हमारे हिन्दू शास्त्रों में ये बताया गया है की कोईभी व्रत और यात्रा करने से पहेल इनके बारेमे याने के इनका महात्मय जानने से अधिक श्रद्धा और पुण्य की प्राप्ति होती है।  आइये भक्तो हम वैकुण्ठ एकादशी की कुछ विशेषताएँ के बारेमे जानते है। (Vaikuntha ekadashi significance).

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वैकुण्ठ एकादशी व्रत की ये ख़ास विशेषताएं आपको जाननी चाहिए - Vaikuntha Ekadashi significance - Today's Ekadashi

  • भक्तो ये एक परम पवित्र एकादशी है जो अंत समय में वैकुंठ दिलाने वाली तथा परिवार को हर कष्‍ट से मुक्ति दिलाने वाली उत्तम मानी गई है। 
  • वैकुण्ठ एकादशी का दिन पितरों के मुक्ति के लिए बहुत खास दिन बताया गया हैं, क्योंकि जिन पितरों को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ हो, उनके लिए आज के दिन उनके वंसज एक लोटे पानी में थोड़े-से काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृ तर्पण करने से पितरों को बैकुंठ में स्थान मिलता है। 
  • बैकुंठ एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से व्रत करने वाले को यश और कीर्ति सारे संसार में फैलती है। 
  • बैकुंठ एकादशी व्रत रखने वालों भक्तों अपने पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खोल पाते हैं। 
  • बैकुंठ एकादशी का उत्तम व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के सभी पाप नष्ट होकर, मोक्ष प्राप्ति  तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता है। 
  • वैकुण्ठ एकादशी का व्रत अनेक पापों को नष्ट करने वाला और इस व्रत से व्रतधारी के सभी परिवार के लोगों को बैकुंठ प्राप्त होता है। 
  • वैकुण्ठ एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन-विधान करने से बक्तोंको बैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है। 
  • बैकुंठ एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात भक्तो को जागकर में विष्णु जी की भक्ति करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए जागरण करनने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 
  • पौष माह में पुत्र की प्राप्ति के लिए वैकुण्ठ/पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इससे व्रतधारी को संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है। 
  • बैकुंठ या पुत्रदा एकादशी दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा जरूर देनी चाहिए, गाय और भूखे को खाना दे, उसके बाद पारण करने से श्री विष्‍णु प्रसन्न होकर शुभाशीष देते हैं।

समापन - 

भक्तो, हमे आशा है की आपको हमारी ये पोस्ट मे वैकुण्ठ एकादशी की विशेषताए और व्रत के फल के बारेमे सब हमने विस्तारसे बताया है तो ये लेख आपको पसंद आया होगी, यदि अभी आपके मन मे इस पोस्ट को लेकर आप चाहते है की इसमे कुछ सुधार की जरूरत है, तो  आप नीचे comments मे लिख सकते है। आपके इस सुजाव को हम तुरंत अनुकरण करके पोस्ट मे सुधार करेंगे। यदि आपको हमारा यह पोस्ट “Vaikuntha Ekadashi significance” अच्छा लगा हो या इससे आपको कुछ सीखने को मिला हो तो, अपनी प्रसनता और उत्सुकता को दर्शाने के लिए कृपया इस पोस्ट को Social Media जैसे की Facebook, Twitter, Instagram और Whatsapp इत्यादिक पर Share जरूर कीजिए। धन्यवाद।

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